Tuesday, August 23, 2016

लौट आओ तुम

थक गई हूँ 
पुकार कर तुमको
तुम हो कि 
आवाज़ ही नहीं सुनते
अब तो रो रो कर छाती भी 
दर्द से कराहने लगी है
तुम हो कि तरस ही नहीं खाते
सर अब हर वक़्त भारी रहता है
सोच सोच कर तुमको
आँखे हमेशा नम
शायद कही  से सुन लो मेरी आवाज़
या देख लो मुझे रोते हुए
दौड़ कर लौट आओ तुम
मेरे लिए

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