Friday, October 7, 2016

बेरंग बेनूर सी जिंदगी


बेरंग, बेनूर हुई जिंदगी
तुम्हारे बिना खाक हुई जिंदगी
तुम थे रंग थे, फूल थे, बहारे थी
झरने थे, नदियां थी, खुशनुमा फ़िज़ा थी
तुम नहीं तो सब धुँआ धुँआ सा है
दिन हुए है अँधेरे
रातों में भी कालिमा है
तुम्हारे सिवा कुछ नहीं है
तुमसे रोशन सारे जहान है
चलो कोई बात नहीं
क्यों जिए अब जब तुम मेरे साथ नहीं
पकड़ के बाह तुम्हारी
तुम्हारे पास आती हूँ
लेती हूँ सहारा तुम्हारा
तुमसे ही मुस्कुराती हूँ

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