मेरी जिंदगी में
इंद्रधनुष जैसे
रंग सजाने वाले
मुझमे जो
खोई थी मैं
मुझको मुझसे
मिलाने वाले
था थोड़ा सा आकाश
जो मुझसे, उसे छोड़
पूरे आकाश की
सैर कराने वाले
जीना चाहती थी
कुछ लम्हे तुम्हारे साथ
हर रंग, हर खुशबू,
हर सपना, हर तन्हाई
प्यार भरा साथ
समझते थे
तुम मुझे बिन कहे भी
फ़िर क्यों छुड़ा कर हाथ
क्यों किया
मुझे बेरंग, बेनूर
बताओ कहाँ से लाउ वो
तितलियों से पंख
जो तुम तक पहुँचूँ
करू तुमसे मान मनुहार
सब दुःख तुमसे बांचु
छोड़ दिया अकेला डूबने
उतारने को
बोलो कहाँ जा के पहुँचूँ
इंद्रधनुष जैसे
रंग सजाने वाले
मुझमे जो
खोई थी मैं
मुझको मुझसे
मिलाने वाले
था थोड़ा सा आकाश
जो मुझसे, उसे छोड़
पूरे आकाश की
सैर कराने वाले
जीना चाहती थी
कुछ लम्हे तुम्हारे साथ
हर रंग, हर खुशबू,
हर सपना, हर तन्हाई
प्यार भरा साथ
समझते थे
तुम मुझे बिन कहे भी
फ़िर क्यों छुड़ा कर हाथ
क्यों किया
मुझे बेरंग, बेनूर
बताओ कहाँ से लाउ वो
तितलियों से पंख
जो तुम तक पहुँचूँ
करू तुमसे मान मनुहार
सब दुःख तुमसे बांचु
छोड़ दिया अकेला डूबने
उतारने को
बोलो कहाँ जा के पहुँचूँ
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home