Thursday, October 18, 2012

चलो और डोर लाए.. नया कोई रिश्ता बनाए




वकील नही जज चाहिए...
मिला दे हमको हमारे प्यार से ऐसा कोई तर्क चाहिए

मिलेगा तो कह देंगे तुम्हारी बात
कर लेगा क़ुबूल दुआ वो हमारे ही साथ

चलो आज नया बहाना लाए
किसी भी तरह उन्हे मनाए

कल के चक्कर मे आज नही छोड़ना हैं...
थामा जो हाथ तेरा जनम जनम नही छोड़ना हैं

मुझे भीड़ मे अच्छा नही लगता
छूट जाता हैं हाथ हमारा........
तन्हाई ही अच्छी ......साथ तो रहते हो..

तब तो क़ुबूल हो दुआ तुम्हारी...
तुम्हारे बाद हैं हमारी बारी


मैने माँगा तेरे लिए, तूने मेरे लिए माँग लिया
हो गई दुआ पूरी कुछ तो नया काम हुआ

वो भी तन्हा  मैं भी तन्हा
अब किसी और से क्या कहना

चलो और डोर लाए..
नया कोई रिश्ता बनाए

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