"स्त्री होकर सवाल करती हैं" नही नही .............स्त्री होकर कमाल करती हैं
"स्त्री होकर सवाल करती हैं"
नही नही .............स्त्री होकर कमाल करती हैं
ए नारी .....तू भी क्या कमाल करती हैं
हिम्मत नही हुई आज तक
तुझसे पहले किसी स्त्री की
कि कर सके पुरुषो से कोई सवाल
लगा सके उनपे कोई इल्ज़ाम
तू क्यूँ अपने उन सबसे अलग होने का
भरम भरती हैं...स्त्री होकर सवाल करती हैं
सीता ना पूछ सकी राम से अपनी ग़लती
ड्रॉपदी ने भोगा कुंती माँ का ये कहना कि
"आपस मे बराबर बराबर बाट लो"
ना उठा कभी सवाल क्यूँ बाटू अपने आप को
पाँच पतियो के साथ.......
स्त्री ये अन्याय तुझे सहना हैं
कोई सवाल ना पहले किया
ना अब तुझे करना हैं..............................
कई बार कलंकित हुई तेरी चाची, मामी, मासी और बुआ
बेचारी ने उफ्फ तक ना किया
चाह कर भी ना लगा सकी इल्ज़ाम अपनो पे
जबकि अपनो ने ही उन्हे शर्मसार किया
आँखो मे आँसू को यू ही रहना हैं
स्त्री होकर सवाल नही करना हैं
गर सवाल उठे दिल मे तो लेना अगला जनम
पुरुष के रूप मे..लेकिन विडंबना ये हैं कि
तब सवाल नही रह जाएँगे
पुरुष के रूप मे आते ही अहंकार आड़े आएँगे
सवालो से अब तुझे नही पुरुषो को डरना हैं
अपने हर अन्याय का जवाब अब तुझे ले कर रहना हैं
अब तो बस कही कहना हैं "स्त्री होकर मलाल करती हैं"
क्यूँ नही अपने आप को दुनिया के सामने शान से रखती हैं
लोग अब यही कहेंगे "स्त्री होकर कमाल करती हैं"
इस किताब मे मेरी भी दो कविताओ को स्थान दिया गया हैं..बहुत अभारी हूँ श्री माया मृग जी की..
9 Comments:
वास्तव में अत्यंत सराहनीय .
bahut bahut abhaar Ajay ji
बधाई अपर्णा जी .......
Bahut hi sundar rachna.sarvshresth blog bane yahi shubh kamna.
Jhaman das
Bahut hi sundar rachna.sarvshresth blog bane yahi shubh kamna.
Jhaman das
नए रचनाकारों के लिए ऐसे मंच मिलना सुखद है , अपर्नाजी आपको बहुत बधाई , सुन्दर रचनाओं के लिए -विनोद भगत
dhanyawaad Vinod ji..sach kaha apne..
bahut bahut shukriya....jhaman das ji
bahut bahut abhaar Aruna ji..
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