Friday, February 3, 2012

तुम्हारा प्रेम झर उठता हैं


जुदाई मे विरह का संवाद
तुम ही सुन पाते हो
मैं तो निर्झर झरने जैसी
बह जाती हूँ.....तुम्हारे साथ
नही रोक पाती अपने आँसुओ को
बादल बन सब घूमड़ कर
चेहरे पे आ टिकता हैं
लोग चेहरे देख सब तय कर
लिया करते हैं...........
कैसे जीती हूँ तुम बिन
विरहन तक कह देते हैं
तुम्हारे साथ जिया एक
लम्हा प्रेम का............
जिसमे गुम हैं मेरा वज़ूद
आँखो के सामने आ
मचलता हैं
तब रोता नही हैं इश्क़
तुम्हारा प्रेम झर उठता हैं

11 Comments:

At February 4, 2012 at 2:15 AM , Blogger Yashwant R. B. Mathur said...

बेहतरीन प्रस्तुति ।

सादर
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जो मेरा मन कहे पर आपका स्वागत है

 
At February 4, 2012 at 6:01 PM , Blogger નીતા કોટેચા said...

bahut badhiya ji

 
At February 4, 2012 at 6:34 PM , Blogger Dr.J.P.Tiwari said...

मैं तो निर्झर झरने जैसी
बह जाती हूँ.....तुम्हारे साथ


मन के बोल जब फूटते है तो फिर रोके नहीं रुकते. आपका तो निश्छल प्रेम है. इस प्रेम को निर्झर बह जाने दो. इसी दरया से वह लौट आएगा. यह निर्झर साथ लेकर के वही संगम बनाएगा. बहुत ही भाव मई प्रस्तुति.

 
At February 4, 2012 at 7:40 PM , Blogger मेरा मन पंछी सा said...

सुंदर , बेहतरीन रचना है

 
At February 4, 2012 at 11:10 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks Yash ji..

 
At February 4, 2012 at 11:11 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks Uncle..

 
At February 4, 2012 at 11:11 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

tahe dil se abhaar Neeta ji..

 
At February 4, 2012 at 11:12 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

sach kaha apne hame poora vishvass hain..wo kahi nahi jayega..

 
At February 4, 2012 at 11:12 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

bahut bahut abhaar Reena ji...

 
At February 5, 2012 at 12:58 AM , Blogger राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' said...

अपर्णा जी सुन्दर प्रस्तुति
जुदाई मे विरह का संवाद
तुम ही सुन पाते हो
मैं तो निर्झर झरने जैसी
बह जाती हूँ.....तुम्हारे साथ
नही रोक पाती अपने आँसुओ को
बादल बन सब घूमड़ कर
चेहरे पे आ टिकता हैं
लोग चेहरे देख सब तय कर
लिया करते हैं...........

 
At February 5, 2012 at 11:31 PM , Blogger अपर्णा खरे said...

thanks Rajendra ji apka bahut bahut abhaar

 

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