मेरे अल्लाह तेरे राम..एक ही नाम.. कौन खरीद सकता हैं इन्हे..किसके पास हैं इतने दाम
एक नादिर के जाने से क्या होता हैं...
रोज़ पैदा हो जाते हैं...यहाँ नये नादिर..
जो करते हैं कत्लेआम दुनिया मे..
फैलाते हैं...नफ़रत..चारो ओर
जिंदगी नाटक होती तो अच्छा था..
कम से कम अपना पार्ट अदा कर के
अलग हो जाते..
यहाँ तो पल पल जीना पड़ता हैं...
लेना पड़ता है रोज़ कुछ निर्णय..
अपनी खातिर, अपनो की खातिर..
मिटने के बाद ही मिलता हैं सुकून..
चाहे तो नदी से, हवा से...फूल से..खुश्बू या हिना से पूछ लो..
कुछ रिश्ते पास या दूर होने से टूट ते नही हैं...
वो तो होते हैं अटूट..जिन्हे कोई नही हिला सकता..
(ये हैं मन का रिश्ता)
(ये हैं मन का रिश्ता)
मेरे अल्लाह तेरे राम..एक ही नाम..
कौन खरीद सकता हैं इन्हे..किसके पास हैं इतने दाम
मीठी झिड़की..खट्टा इनकार..
थोड़ी सी गुस्सा....ढेर सी मनुहार
यही हैं प्यार..यही हैं जीवन का सार
खूबसूरत हैं तुम्हारा प्यार..
सहम रहा हैं..सिमट रहा हैं..
धीरे धीरे बढ़ रहा हैं...........
हौले हौले थम रहा हैं....
तुम हो गये हो साहसी
इसलिए तुम्हे मौत से डर नही लगता..
खंडक, खाई और गड्ढे..ये तो बहुत छोटे हैं..
तुम्हारे साहस के सामने..
1 Comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार -01/09/2013 को
चोर नहीं चोरों के सरदार हैं पीएम ! हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः10 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
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