आँख मिचौली
दिल में दर्द है
आँखों में नमी है
सब हैं लेकिन
तुम्हारी कमी है
सांस चल रही है
वक़्त के साथ
धड़कने रुकने को है
बेताब
रो रही जमी
रो रहा आसमान
देख रहे हो न तुम
ओ मेहरबान
बिन तुम्हारे
सब अधूरा
न तुम पूरे
न मैं पूरा
एहसास तो दिलाओ
कहाँ हो तुम
अब तो लौट आओ
बस बहुत हुई आँख मिचौली
कुछ तुमने खेली
कुछ मैंने खेली
अब करो
इस खेल को ख़त्म
टूट जाये तुम्हारे
न होने का भरम
चलो तुम जीते
मैं हारी
अब आ जाओ
तुम पे सब बलिहारी
आँखों में नमी है
सब हैं लेकिन
तुम्हारी कमी है
सांस चल रही है
वक़्त के साथ
धड़कने रुकने को है
बेताब
रो रही जमी
रो रहा आसमान
देख रहे हो न तुम
ओ मेहरबान
बिन तुम्हारे
सब अधूरा
न तुम पूरे
न मैं पूरा
एहसास तो दिलाओ
कहाँ हो तुम
अब तो लौट आओ
बस बहुत हुई आँख मिचौली
कुछ तुमने खेली
कुछ मैंने खेली
अब करो
इस खेल को ख़त्म
टूट जाये तुम्हारे
न होने का भरम
चलो तुम जीते
मैं हारी
अब आ जाओ
तुम पे सब बलिहारी
1 Comments:
nice.....:)
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