Saturday, August 20, 2016

मौत का इंतज़ार

देखो न तुम्हे भी पसंद थी सर्दियाँ
मुझे भी पसंद था वो कोहरे का मौसम
तुम संग दूर निकल जाना
घर न लौटने की जिद करना
तुम्हारा अगला मिलने का वादा देकर
मुझे बहलाना
सब मुझे याद है
तुम नहीं हो फिर भी
वो पल आज भी खास है
पता नहीं कैसे करेंगे सामना
अबकी बार सर्दियो का
तुम नहीं हो
तो कैसी सर्दियाँ
कैसी मैं
कैसा कोहरा
कैसी सड़के
कैसी ठण्ड
उफ़ खुदा करे कि
मुझे भी मौत आ जाये
न मैं बचू
न तुम्हारी याद आये

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