किससे करूँ शिकायत, किसका इंतज़ार करूँ
तुम्हारे जाने से
थम गई है
मेरी दुनिया
अब सब कुछ मुझे
रुका रुका सा
लगता है
साँसे जैसे अटकी हो
जिस्म में मेरे
बस कुछ यूँ
महसूस होता है
बात बात पे
रोने का
जी करता हूं
डबडबाई रहती है
मेरी आँखे
आँखों में
तुमको भर लेने का
जी करता है
सोचती हूँ
किस से करूँ शिकायत
जो मेरे साथ
बुरा चलता है
तुम थे तो जिंदगी
कितनी आसान थी
अब तो बस हर वक़्त
मरने को जी करता है
काश तुम फिर से
लौट आते
सब कुछ
पहले जैसा हो जाता
खुशनुमा होती
अपनी भी जिंदगी
तुम संग जीने का
मज़ा आता
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