Tuesday, August 9, 2016

जिंदगी संघर्ष है


तुम जब थे 
परेशान रहे
समस्याएं तो जैसे
तुम्हारा हिस्सा हो गई थी

लेकिन तुम थे 
तुमने लड़ना नहीं छोड़ा
पूरी जान लड़ा दी
लेकिन फिर भी तुम
एक के बाद एक झटके
कैसे बर्दास्त करते

तुम कोई ईश्वर तो नहीं
जो पी जाते एक साथ
सारा जहर
आखिर तुम्हारे शरीर ने ही
तुम्हारा साथ छोड़ दिया
डाल दिए हथियार
चल दिए 
परमात्मा की गोद में

असीम शांति में
जहाँ कोई दर्द नहीं
कोई समस्या नहीं
कोई अकेलापन नहीं
किसी के साथ की 
कोई जरुरत नहीं

लेकिन ये क्या?
तुम्हारे जाते ही यहाँ भी
सब उलट पुलट हो गया
जिसे ढूंढ रहे थे 
साल भर से
तुम्हारी खबर अखबार में 
पढ़ते ही आ गिरा 
सच 
इतना गुस्सा आया 
पूछो मत
उसको खोजने के  लिए तुमने
जमीन आसमां 
एक कर दिया
तब विलोप हो गया था 
अब जब तुम ही नहीं तो 
उसका भी क्या काम

फिर 
तुम्हारे जीवन की और 
कई प्रोब्लेम्स
धीरे धीरे उड़न छू हो गई
सारे दुःख 
क्या तुम्हारे हिस्से में लिखे थे
या दुःख का खाता 
ईश्वर ने 
तुम्हारे नाम कर दिया था 

कुछ समझ नहीं आ रहा
या यूँ कहो 
हम सब की तरह
ईश्वर को भी 
तुमसे प्यार हो गया
जो रह नहीं पाया 
तुम्हारे बगैर

तुम तो कर्मठ हो
बिना कर्म किये 
रह ही नहीं सकते
सो वहां भी खोज लोगे 
अपने लिए कोई कार्य

हम सबको अब 
बिना तुम्हारे 
मार्गदर्शन के चलना होगा
खुद अपना मस्तिष्क 
उपयोग करना होगा
दिखाई जो राह 
उसपे चलना होगा

लेकिन 
तुम्हारे द्वारा देखे गए स्वप्न
अब यूँ व्यर्थ नहीं जाने देंगे
फिर से बटोर कर नई शक्ति 
सपनों  को साकार करेंगे 
ताकि तुम भी गर्व कर सको 
हम बच्चों पे
तुम्हारी शिक्षा कभी 
बर्बाद नहीं होगी
तुम्हारी युवा फ़ौज़ 
यानि तुम्हारे बच्चे 
तुम्हारे जैसे ही होंगे

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