Thursday, July 23, 2020

सतरंगी रे


सतरंगी 
सुर्ख आसमान
तुम्हारी याद..😢

डूबता सूरज....
ठंडी हवा...
तुम्हारी बातें
सब आगोश में 
भर लेना चाहती हूँ...

लेकिन
शाख से 
टूटे पत्ते सी 
कमजोर पड़ चुकी मैं

समूचे पेड़ का भार
कैसे संभालूं??

तुम आओ तो कुछ बात बने!!!

तुम्हारा साथ


कोई नही है
जिस से बाट सकूं 
अपना दर्द
एक तुम थे
वो भी चल दिये
हाथ छुड़ाकर
अनंत यात्रा पे
अपनी खुशी के लिए

ये भी नही सोचा
उनका क्या होगा
जो है जिंदा
तुम्हारे भरोसे पे

साथ भी दिया 
तो उनका
जिन्होंने तुम्हारा साथ
कभी नही दिया
लेकिन 
शायद 
वादा तुम्हारा था 
उनके साथ
साथ निभाने का
जो तुमने निभा दिया!!

तुम जानते हो


सुनो 
कैसे करूँ 
तुम्हारी शिकायत 
तुम तो 
शिकायत से भी
ऊपर हो,

हर गुण है तुममे
जिसे सराहा जाए 
पूजा जाए

फिर भी
मैं अकेली हूँ
तुम्हारे बिना
ये तुम जानते हो!!😢

और कुछ नही कहना तुमसे!!!💐

प्रवेश


रात के सवा दो बजे है
आंखों से नींद गायब है

दिल मे अजीब सूनापन है

यादों का काफिला 
बदस्तूर आंखों में तैर रहा है 
दिल है कि 
जार जार रोना चाहता है
बेबादल बरसात से
शायद हल्का हो जाये

बहुत थक गई हूं मैं
खुद से लड़ते लड़ते
अब दुनिया की बादशाहत छोड़ 
प्रवेश पाना चाहती हूँ 
परमात्मा की दुनिया में

सुना है वहाँ कोई दुख नही रहते!!😊