Wednesday, June 6, 2018

निग़ाहें


कितना दर्द है
इन निगाहों में
जो लफ्जों से
बयां नही होता

ढूंढती है
बहुत तुम्हे
ये नजरें
इन्हें
तुम्हारे सिवा
कुछ भी सूझता

बेचैनियां है कि
बढ़ती जाती है
उम्मीद है कि
घटती जाती है

किसपे करूँ
एतबार
ए-दिल बता??
अपनी किस्मत पे
या अपनी मोहब्बत पे

अब तुम बिन और
रहा नही जाता!!!!
@अपर्णा खरे

अशक्त बुढापा


पार्क में टहलते कुछ वृद्धों को देख कर मन मे खयाल आया हम भी कल वृद्ध होंगे हमारा खयाल कौन रखेगा
जवाब भी मन ने ही दिया.....

अशक्त बुढापा
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सच्चाई की सुबह
पार्क की ठंडी हवा
आंखों के आगे
लहराता भविष्य
क्या हम भी होंगे
अशक्त
कौन हमे थामेगा
कौन उठाएगा
हमारा कठिन बोझ
प्रश्न अनुत्तरित है
लेकिन
इन प्रश्नों का उत्तर
हम स्वयं है
आज है हम सक्षम
बांट ले
अपनो का बोझ
बिताए वक़्त
उनके साथ
खिलखिलाए, हँसाये
अकेलापन
दूर करे उनका
कोई हमारे लिए भी आएगा
हमे भी देगा
अपना साथ
उठ जाओ
जुट जाओ
अपने काम पे
वरना
दिन बदलते
देर नही लगती!!!!अपर्णा खरे

अटल तुम अटल रहे



दिल आज बहुत द्रवित है सदी का नायक हम सबके आदर्श, सबके हीरो हमारे बीच नही रहे....😢😢😢

मौत से चलो 
दो दो हाथ कर ले
देखे कितना दम है 
मौत में??
एक बार तो उससे 
जी भर के लड़ ले!!

जानता हूँ
भले हार जाऊंगा मैं
*अटल वो भी
अटल मैं भी*
लेकिन फिर आऊंगा मैं
मेरे भारत !!
तुम घबराना नही

फिर फुकूँगा 
वही शंखनाद
एकता, अखंडता का
तुम सबको 
जागरूक करूंगा
नही रहने दूंगा 
तुम सबको मूकदर्शक,
फिर ताबड़तोड़ दुश्मन को
ईंट का जवाब 
पत्थर से दूंगा!!

फिर रचूंगा कवि बन
कविता तेज तर्रार
फिर बनूगा 
निर्भीक पत्रकार
भटके हुए लोगो को 
जीना सिखलाऊंगा!
बेईमान नेताओं में 
ईमान की 
अलख जगाऊँगा

छोड़ने दो मुझे 
पुराना, बीमार चोला
गहरे दर्द का ये 
पुराना फटा लबादा

फिर मैं आऊंगा
मेरा इंतेज़ार करना
मेरे लिए कोई 
शोक विलाप न करना
वंदे मातरम कहते हुए 
मैं मिलूंगा तुम्हे,
मुझे पहचान लेना

किंचित भी 
मत रोना
मेरे भारत
मेरे नए जन्म का 
थोड़ा इंतेज़ार करना @कॉपीराइटअपर्णा खरे