Saturday, September 10, 2011

शाम एक उदास लड़की है,


शाम एक उदास लड़की है, 

उसकी आंखों में झांकने वाले की 

आंख में भर जाती है बेइंतहा उदासी----

वो उदासी उसे कही दूर कुछ सोचने पे 

मज़बूर कर देती हैं..................

पुरानी बाते मस्तिस्क पटल पे..

अंकित होने लगती हैं.....

जो उस उदासी को गहराने को

मज़बूर कर देती हैं

तुम्हारा साथ बार बार याद आता है 

जीने का सबब था जो प्यार 

वो रोने को मज़बूर कर देता हैं

उन उदास शामो को कोई थाम सकता हैं तो 

वो हैं तुम्हारा फिर से जिंदगी मे लौट आना

लेकिन शायद ये तुम्हारे लिए संभव नही

क्यूंकी तुम तो बहुत दूर जा चुके हो..

प्यार की सरहद को तुम पार करके 

कही और जा बसे हो

जहा से तुम्हारा लौटना संभव नही

अब उदासी मेरी नियती हैं..

तुम्हे हर वक़्त सोचना मेरी प्रकती हैं

मुझे अपना काम करना हैं

तुम्हे अपना काम करना हैं



  • 50 of 55

    • Aparna Khare thanks Dear....
      September 12 at 12:05pm ·  ·  1 person

    • Ashish Khedikar Bahut khoob Aparna Ji.... lekin ye Udaasi kyon..?
      September 12 at 12:05pm ·  ·  2 people

    • Suman Mishra क्यों पसंद है,,,,आपको.....चलिए आज इस उदास लड़की पर मैं भी एक शोध करती हूँ आपसे प्रेरणा लेकर.....
      September 12 at 12:06pm ·  ·  1 person

    • Aparna Khare khushiya jyada samay kaha tik pati hain Ashish ji..jaise sardi kewal char mahine rehti aur garmi poore 8 mahine...khushi ka bhi yahi haal hain
      September 12 at 12:06pm ·  ·  1 person

    • Aparna Khare jaroor suman..tumhari kala se to kuch aur hi niklega...
      September 12 at 12:07pm ·  ·  1 person

    • Suman Mishra नहीं ..दी.....उदास लड़की शब्द बहुत सुंदर है.
      September 12 at 12:12pm ·  ·  2 people

    • Rajiv Jayaswal vo sham kuch udas thi
      ye sham bhi udas hai
      vo kal bhi aas paas thi
      vo Aj bhi karib hai.

      September 12 at 12:30pm ·  ·  1 person

    • Manoj Kumar Bhattoa वाह ! अति सुंदर रचना अपर्णा जी ....
      September 12 at 12:41pm ·  ·  1 person

    • Manoj Gupta Aparna /Suman ji mere shodh ke baad ek udas ladki ki kahani hai share karna chooga 2 parts me sune :

      वह लड़की अकेली थी। अकेली और उदास। कोई साथी नहीं था उसका। अकेले अपने कमरे में बैठे बैठे सपने बुना करती थी। सपने जिनके सच होने की उम्मीद भी उसने छोड़ दी थी। वो चाहती थी कोई उसके साथ बात करे, उससे झगड़े, उसे मनाए, उसे बहलाए, उसके सपने सुने पर कोई नहीं था जो ये सब करता।
      एक दिन उसे ब्लॉग के बारे में पता चला, उसने सोचा चलो जी बहला रहेगा और उसने एक ब्लॉग बना लिया। ब्लॉग में उसने अपने सपनों को सजाना शुरू कर दिया। अपनी कल्पना और रचनात्मकता से उसने ब्लॉग मे ही अपनी दुनिया बना ली।

      उसने ब्लॉग में एक झील बनाई, झील के किनारे पहाड़ बनाया, झील के दुसरे सिरे में एक सुन्दर पार्क बनाया और उस पार्क में एक बेंच बनाई। उस बेंच पर बैठकर वो झील और पहाड़ के खूबसूरती को निहारा करती और सोचा करती। सोचा करती अपने अकेलेपन के बारे में, अपनी उदासी के बारे में और अपने जीवन के बारे में। सोचते सोचते उसने इन पर कविता

      लिखना शुरू कर दिया। उन कविताओं को भी उसने अपने ब्लॉग पर सजाना शुरू कर दिया। अपने सपनों के ब्लॉग में, सपनों की झील किनारे, सपनों के पार्क में, सपनों के बेंच में बैठ वह उन कविताओं को गुनगुनाया करती।

      एक दिन जब वह अपनी एक कविता गुनगुना रही थी एक लड़का उसके पास आकर उसकी कविता सुनने लगा। लड़की ने जब कविता ख़त्म की तो लड़के ने ताली बजाई और उसकी प्रशंसा की। लड़की झेंप गई. उसने लड़के को देखा। लड़का उसी के उम्र का था। सुकुमार सा। उसके चेहरे पर कोमल भाव थे। लड़की को वो बिलकुल अपना सा लगा। लड़का लड़की के

      पास ही बैठ गया। लड़के ने लड़की के कविता की तरीफ़ की। लड़की ने शुक्रिया कहा। लड़के ने बताया कि उसका भी एक ब्लॉग है और वह घूमते घूमते यहाँ आ गया। दोनो बैठकर बातें करने लगे। लड़के ने लड़की को अपनी कविताएं सुनाई। लड़की को पसंद आईं। दोनो देर तक बातें करते रहे। एक दूसरे के बारे में जानते रहे। लड़की को लड़के से बात करना बहुत

      अच्छा लगा।

      अब दोनो अक्सर वहाँ मिलने लगे। मिलते और घंटों बातें करते। लड़की को लड़के का साथ बहुत अच्छा लगता। उससे बात करते हुए उसे लगता के समय थमा रहे। पर समय नहीं थमता और लड़की के अपने ब्लॉग से निकलकर अपने कमरे में जाने का समय हो जाता। फिर मिलने का वादा करके दोनो विदा होते। लड़की अब खुश रहने लगी। उसे सबकुछ अच्छा लगने लगा। उसने अब उदासी और अकेलेपन की कविताएं लिखना छोड़ दिया।

      लड़की ने खुशियों पर लिखना शुरु किया, रंगो पर लिखना शुरु किया, खुशबू पर लिखना शुरु किया। वह लिखती, लड़का पढ़ता, जब लड़के को पसंद आतीं तो उसे अपना लिखना सार्थक लगता। वह और लिखती, और खुश होती। इस तरह उन्हे मिलते मिलते कुछ समय बीत गया।

      एक दिन लड़के ने लड़की का हाथ पकड़ा। लड़की रोमांचित हो गई। उसके सारे शरीर में तरंगे दोड़ने लगीं। लड़के ने लड़की से कहा कि वो उससे प्यार करता है और उसके बिना नहीं रह सकता। यह सुन कर लड़की को लगा कि उसने अपनी जीवन में इससे अच्छी और प्यारी बात कभी नहीं सुनी थी। लड़की खुशी से पागल हो गई। उसने लड़के से कहा कि वो भी उसे बहुत प्यार करती है।

      लड़की अब प्रेम में डूब चुकी थी।

      September 12 at 12:44pm ·  ·  4 people

    • Aparna Khare bahut acche Manoj ji..
      September 12 at 12:46pm ·  ·  1 person

    • Manoj Gupta are part 2 kyo nahi post hua ????
      September 12 at 12:50pm ·  ·  1 person

    • Aparna Khare ap batao
      September 12 at 12:51pm · 

    • Manoj Gupta part 2 ki length 8000 char se jayda hai ,isliye
      September 12 at 12:51pm ·  ·  1 person

    • Aparna Khare part three me bhi kar de
      September 12 at 12:51pm · 

    • Manoj Gupta वह दिन रात लड़के के ही ख्यालों में खोई रहती। उसने अब प्रेम कवितायेँ लिखना शुरू कर दिया था। प्रेम और खुशियों की कविताएँ। दोनों अक्सर मिला करते। देर तक बातें करते और साथ में सपने बुनते। सपने, जो अब दोनों के साझा सपने थे। अब दोनों ब्लॉग की सीमा से भी परे हो गए। ब्लॉग के बाहर भी दोनों ने मिलना शुरू कर दिया। लड़का लड़की को उन सभी जगहों पर लेकर जाता जहाँ वो जाना चाहती थी और वे सारी चीज़ें दिखाता जो वो देखना चाहती थी। लड़का लड़की को अपने ब्लॉग पर भी लेकर गया। अपनी रचनात्मकता से भी उसे परिचित कराया।

      इस तरह लड़की के पास खूबसूरत लम्हों का खजाना इकठ्ठा होता गया। जब लड़का उसके साथ नहीं होता तो वो इस खजाने की पोटली को खोलती और एक एक लम्हे को याद करके फिर से जीती।

      एक दिन लड़के ने लड़की से कहा के वो उससे एकांत में मिलना चाहता है।
      "कहाँ?" लड़की ने पूछा।
      "कहीं भी" लड़के ने कहा।
      "तुम्हारे घर?"
      "नहीं, वहाँ नहीं मिल सकते।"
      "फिर?"
      "फिर जहाँ भी तुम ले चलो।"

      फिर लड़की ने अपने सपनों के संसार में एक सपनों का घर बनाया, ब्लॉग से बाहर। लड़की ने उसे नाम दिया - हमारा घर। दोनों उसी सपनों के घर में मिले और वहीं प्रथम बार लड़के के अधरों ने लड़की के अधरों को स्पर्श किया। लड़की असीम सुख में डूब यी। और वही घर उन दो प्रेम में डूबे देहों के मिलन का गवाह भी बना। लड़की को लगा के अब उसने अपने होने का अर्थ पा लिया है। उसे लगा के अब वो मर भी जाये तो उसे कोई दुःख नहीं होगा। दोनों अब भावनात्मक, वैचारिक, रचनात्मक और दैहिक हर स्तर पर प्यार में डूब चुके थे।

      काफी दिनों तक दोनों का प्रेम यूं ही चलता रहा। एक दिन लड़के ने लड़की से कहा कि अब तुम्हे कहानियाँ लिखना चाहिए। लड़की ने लड़के के कहने पर लिखी एक प्रेम कहानी। लड़के ने कहानी की प्रशंसा की और कहा कि इसे आगे बढ़ाओ। तुम्हारा मूल ध्येय सृजन करना है। इसके लिए यदि कुछ त्याग भी करना पड़े तो कोई बात नहीं लिखती रहो। लड़की सम्मोहित हो गयी। लड़का चला गया और लड़की अपने सपनों के घर में बैठकर लिखने लगी।

      September 12 at 12:52pm ·  ·  2 people

    • Manoj Gupta लड़की अकेले में बैठकर कहानी लिखती और लड़के का इंतजार भी करती रहती। लड़का शाम को आता लड़की का लिखा पढ़ता, तारीफ करता और लड़की को प्यार करता फिर वापस लौट जाता। लड़की फिर से लिखने बैठ जाती। वो लिखती क्योंकि लड़का पढता। लड़के का पढ़ना लड़की के लिखने को सार्थक कर जाता। धीरे धीरे लड़के ने आना भी कम कर दिया। अब वो दो-तीन दिन में एक बार आने लगा। लड़की के कहने पर वो कहता कि वो नहीं चाहता कि उसके आने से लड़की का कार्य बाधित हो। लड़की ने प्रेम की खातिर यह भी स्वीकार कर लिया।

      एक बार ऐसा हुआ कि लड़का चार तक भी नहीं आया। लड़की को लड़के की बहुत याद आ रही थी पर उसे लगा शायद लड़का व्यस्त होगा। अगले दिन भी लड़का नहीं आया तो लड़की को चिंता होने लगी। उसने लड़के से संपर्क करना चाहा पर ये भी न हो पाया। लड़की ने फिर भी इंतजार किया पर लड़का अगले दिन भी नहीं आया। अब लड़की की चिंता और बढ़ गई। लड़के के बिना उसे रहा भी नहीं जा रहा था। वो निकल पड़ी लड़के को ढूँढने। सबसे पहले लड़की अपने ब्लॉग पर गई उसी बेंच पर जहाँ वो उससे पहली बार मिली थी। लड़का वहाँ नहीं था।

      फिर लड़की उन सभी जगहों पर भटकती रही जहाँ जहाँ वो लड़के के साथ गई थी। पर लड़का कहीं भी नहीं मिला।

      लड़की अब बदहवास हो गई थी। उसे जैसे कुछ याद आया और वो भागते भागते लड़के के ब्लॉग पर पहुँची। लड़की ने देखा कि लड़का वहाँ लड़का किसी और लड़की के साथ बैठा हुआ था। लड़का उस लड़की का हाथ पकड़कर बैठा था ठीक वैसे ही जैसे इसका हाथ पकड़ता था। लड़का उस लड़की की आँखों में झाँक रहा था ठीक वैसे ही जैसे इसकी आँखों में झांकता था। लड़का उस लड़की की कविताओं की प्रशंसा करा रहा था ठीक वैसे ही जैसे इसकी कविताओं की करता था। और फिर जिन कानों से लड़की अपनी तारीफ सुना करती थी उन्ही कानों से

      उसने सुना लड़का उस लड़की से कहा रहा था -यदि तुम साथ दो तो हम हम बहुत कुछ कर सकते हैं। तुम और मैं। बस तुम और मैं। मेरा जीवन बस तुमसे ही ख़त्म होता है और बस तुमसे ही शुरू....

      लड़की से आगे न कुछ देखा गया और न सुना गया, वो भागकर अपने कमरे में आ गयी। लड़की ने कहानी को फाड़कर फेंक दिया। लड़की रोने लगी। लड़की रोती रही। इतना रोई कि उसके आंसुओं से उसके सारे सपने भींग गए। और फिर आंसुओं से भीगे हुए उन कच्चे रंगों पर हाथ फेरकर उसने अपने सारे सपने मिटा दिए। अपने सपनों का सारा संसार मिटा दिया।

      लड़की ने ब्लॉग पे जाना छोड़ दिया।
      लड़की ने कविताएँ लिखना छोड़ दिया।
      लड़की फिर से अकेली हो गई।
      लड़की फिर से उदास हो गई।

      September 12 at 12:53pm ·  ·  3 people

    • Manoj Gupta लड़की अकेले में बैठकर कहानी लिखती और लड़के का इंतजार भी करती रहती। लड़का शाम को आता लड़की का लिखा पढ़ता, तारीफ करता और लड़की को प्यार करता फिर वापस लौट जाता। लड़की फिर से लिखने बैठ जाती। वो लिखती क्योंकि लड़का पढता। लड़के का पढ़ना लड़की के लिखने को सार्थक कर जाता। धीरे धीरे लड़के ने आना भी कम कर दिया। अब वो दो-तीन दिन में एक बार आने लगा। लड़की के कहने पर वो कहता कि वो नहीं चाहता कि उसके आने से लड़की का कार्य बाधित हो। लड़की ने प्रेम की खातिर यह भी स्वीकार कर लिया।

      एक बार ऐसा हुआ कि लड़का चार तक भी नहीं आया। लड़की को लड़के की बहुत याद आ रही थी पर उसे लगा शायद लड़का व्यस्त होगा। अगले दिन भी लड़का नहीं आया तो लड़की को चिंता होने लगी। उसने लड़के से संपर्क करना चाहा पर ये भी न हो पाया। लड़की ने फिर भी इंतजार किया पर लड़का अगले दिन भी नहीं आया। अब लड़की की चिंता और बढ़ गई। लड़के के बिना उसे रहा भी नहीं जा रहा था। वो निकल पड़ी लड़के को ढूँढने। सबसे पहले लड़की अपने ब्लॉग पर गई उसी बेंच पर जहाँ वो उससे पहली बार मिली थी। लड़का वहाँ नहीं था।

      फिर लड़की उन सभी जगहों पर भटकती रही जहाँ जहाँ वो लड़के के साथ गई थी। पर लड़का कहीं भी नहीं मिला।

      September 12 at 12:54pm ·  ·  2 people

    • Manoj Gupta लड़की अब बदहवास हो गई थी। उसे जैसे कुछ याद आया और वो भागते भागते लड़के के ब्लॉग पर पहुँची। लड़की ने देखा कि लड़का वहाँ लड़का किसी और लड़की के साथ बैठा हुआ था। लड़का उस लड़की का हाथ पकड़कर बैठा था ठीक वैसे ही जैसे इसका हाथ पकड़ता था। लड़का उस लड़की की आँखों में झाँक रहा था ठीक वैसे ही जैसे इसकी आँखों में झांकता था। लड़का उस लड़की की कविताओं की प्रशंसा करा रहा था ठीक वैसे ही जैसे इसकी कविताओं की करता था। और फिर जिन कानों से लड़की अपनी तारीफ सुना करती थी उन्ही कानों से

      उसने सुना लड़का उस लड़की से कहा रहा था -यदि तुम साथ दो तो हम हम बहुत कुछ कर सकते हैं। तुम और मैं। बस तुम और मैं। मेरा जीवन बस तुमसे ही ख़त्म होता है और बस तुमसे ही शुरू....

      लड़की से आगे न कुछ देखा गया और न सुना गया, वो भागकर अपने कमरे में आ गयी। लड़की ने कहानी को फाड़कर फेंक दिया। लड़की रोने लगी। लड़की रोती रही। इतना रोई कि उसके आंसुओं से उसके सारे सपने भींग गए। और फिर आंसुओं से भीगे हुए उन कच्चे रंगों पर हाथ फेरकर उसने अपने सारे सपने मिटा दिए। अपने सपनों का सारा संसार मिटा दिया।

      लड़की ने ब्लॉग पे जाना छोड़ दिया।
      लड़की ने कविताएँ लिखना छोड़ दिया।
      लड़की फिर से अकेली हो गई।
      लड़की फिर से उदास हो गई।

      September 12 at 12:54pm ·  ·  2 people

    • Aparna Khare hmmm
      September 12 at 12:55pm · 

    • Aparna Khare a gaya
      September 12 at 12:55pm ·  ·  1 person

    • Suman Mishra मनोज जी....बहुत सुंदर .....खूबसूरती,,,का ताना बाना
      September 12 at 1:04pm ·  ·  2 people

    • Suman Mishra ओह इन्तजार....SHABD
      September 12 at 1:05pm ·  ·  2 people

    • Aparna Khare nice story......Manoj ji..thanks
      September 12 at 1:06pm ·  ·  1 person

    • Maya Mrig अजीब दास्‍तां है मनोज जी---उदासियों से शुरु होती है---उदासियों पर खत्‍म----
      September 12 at 1:30pm ·  ·  2 people

    • नए शोधों से पता चला है कि उदास रहने वालों की याददाश्त तेज होती है. इसका सीधा सटीक अर्थ ये कि खुश रहने से आपकी याददाश्त कमजोर होती है. अब आप या तो खुश रह लें या फिर अपनी याददाश्त तेज कर लें वैसे, उदास रहने के लिए बहाने ढूंढने की जरूरत नहीं है. आप अपने आसपास की दशा-दिशा को एक बार निहार लें बस. उदास होने और सदा सर्वदा के लिए उदास बने रहने के लिए इतना ही काफ़ी है. उदास रहने के लिए तन मन धन से मेहनत करने की भी जरूरत नहीं होती.
      September 12 at 2:15pm ·  ·  2 people

    • Kiran Shaheen · Friends with Maya Mrig and 11 others
      Aur ladki ek udas sham hai, yon kahein toh?
      September 12 at 3:57pm ·  ·  1 person

    • Kamdev Sharma · Friends with Naresh Matia and 3 others
      very nice amd meaningful
      September 12 at 4:19pm ·  ·  1 person

    • प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल उदासीन अवस्था और उसमे होने वाली उथल पुथल का सुंदर चित्रण अपर्णा जी
      September 12 at 4:34pm ·  ·  1 person

    • Alam Khursheed प्यार की सरहद को तुम पार करके
      कही और जा बसे हो
      जहा से तुम्हारा लौटना संभव नही
      अब उदासी मेरी नियती हैं..
      तुम्हे हर वक़्त सोचना मेरी प्रकती हैं
      मुझे अपना काम करना हैं
      तुम्हे अपना काम करना हैं................................
      Waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah!

      September 12 at 5:26pm ·  ·  1 person

    • Aparna Khare shukriya Alam ji
      September 12 at 5:30pm · 

    • Aparna Khare Thanks Prativimb ji
      September 12 at 5:30pm · 

    • Niranjana K Thakur Bahut khubsurat likha hain !
      September 12 at 6:15pm ·  ·  2 people

    • Gunjan Agrawal Manoj Gupta ji...aapne ek hi kahani ko kitne sare roopon main saja diya.... vo bhi behad khubsurati se..bahaut khubbb badhai
      September 12 at 8:34pm ·  ·  1 person

    • Gunjan Agrawal Aparna apki kavita behtreen hai..hamesha ki tarah
      September 12 at 8:35pm ·  ·  3 people

    • Reenu Gupta SACH MAI BAHUT SUNDAR KAVIT LIKHTI HAI AAP DI..............................MATLAB ..PADKE LAGTA HAI KI KYA LIKHOON DI LIYE........SPECHLESS
      September 12 at 8:39pm ·  ·  1 person

    • Chandra Vig अपर्णा जी , ऐसा नहीं लगता किः कहीं न कहीं मन की उदासी व् विरह जीवन के अभिन अंग हो गए हैं ! विरह तो अब मिलन के जज्बातों पर हावी हो चूका है ! यही अच्छा लगता है अब तो ! Your views are invited !
      September 13 at 5:19am ·  ·  1 person

    • किरण आर्य yaar Aparna Khare gar tum sath ho hamare to har sham nirali hai apni to, vaise bhi hame yeh udasi bhari baate kam hi bhati hai dear.............
      September 13 at 9:42am ·  ·  1 person

    • किरण आर्य Vaise kavita lajawaaab hai dost...........:))
      September 13 at 9:43am · 

    • Aparna Khare thanks Niranjana ji
      September 13 at 11:52am · 

    • Aparna Khare thanks Gunjan Agrawal
      September 13 at 11:52am · 

    • Aparna Khare Reenu dear tumhe achhi lagi thans
      September 13 at 11:52am · 

    • Aparna Khare chandra sir....ham sabke jeevan me waise bhi khushiyo ke pal kam ate hain virah ke jyada...jiski jyada existance hoti usu se hame pyar ho jata hain....jaise sad songs koi aisa nahi hoga jise pasand na ho...
      September 13 at 11:54am · 

    • Aparna Khare thanks Kiran Arya
      September 13 at 11:54am · 

    • Naresh Matia प्यार की सरहद को तुम पार करके
      कही और जा बसे हो
      जहा से तुम्हारा लौटना संभव नही
      अब उदासी मेरी नियती हैं..
      तुम्हे हर वक़्त सोचना मेरी प्रकती हैं
      मुझे अपना काम करना हैं....badhiya likha....virah..udaasi.....aur bas fir yehi sochne ka kaam...par apni soch is se kuchh alag hain..kash jitna samay uske bare mei sochne mei lagaya usme se thoda thoda sa samay nikaal kar apne liye bhi socha hota to....jeevan mei itni udaasi nahi hoti....anyways......apni-2 soch...

      September 13 at 1:27pm ·  ·  1 person

    • Aparna Khare sach hain Naresh ji thanks...but apne hatho me sab kaha hota hain
      September 13 at 1:29pm ·  ·  1 person

    • Naresh Matia apne liye sochna apne hath mei hi hota hain.....baki ke liye sochna chaheaapke hath na ho....
      September 13 at 1:29pm ·  ·  1 person

    • Aparna Khare hahahaha.................sahi hain....i m just joking....dekh rahi thi Naresh ji wahi hain ki badal gaye
      September 13 at 1:30pm ·  ·  1 person

    • Naresh Matia ha ha ha ha......
      September 13 at 1:30pm ·  ·  1 person

    • Gopal Krishna Shukla उदासी और शाम का बहुत अच्छा संयोजन... शाम उदास हो जाती है क्योंकि रोशनी मध्दिम हो रही है जो कि कुछ पल के बाद ही गहरी काली रात मे बदल जायेगी... लडकी की उदासी भी कुछ ऐसी ही है... जिसे चाहती है वो अब दूसरे दिन या जन्म मे मिल सकेगा क्या....

      बहुत सुन्दर रचना अपर्णा जी...

      September 13 at 11:21pm ·  ·  1 person

    • Rajani Bhardwaj शाम एक उदास लड़की है, ............. bhut achchha sa
      September 14 at 12:57pm ·  ·  1 person