Saturday, December 26, 2015

मेरी कमिया


तुम भी न
हैण्ड लेंस लेकर 
ढूंढना चाहते हो 
मुझमे कमियां
और मैं
होना चाहती हूँ
तुम्हारी तरह मुक्कमल
इसी ख्वाहिश में
खुद को रोज़ 
निखारती हूँ
शायद किसी दिन  तुम 
प्यार से कह दो
तुम तो मेरा ही 
अक्स हो
तुम में 
और 
मुझमे
कोई अन्तर नहीं
अंदर बाहर से 
तुम हो गई हो 
मेरी जैसी
तुम मेरी परछाई हो
मेरे लिए ही 
अर्श से फर्श तक
आई हो