मेरे अपने
मुझमे मेरा क्या था
सब तो तुम्हारे द्वारा
तय
किया गया था
मेरी बाहर की जिंदगी
कहाँ जाना है
किस से मिलना है
क्या बात करनी है
कौन सा कोर्स करना है
कब किसके साथ
रखनी है दोस्ती
कब आना और जाना है
तुमने तय किये मेरे
भीतर के रास्ते
मेरे तौर तरीके
मेरे संस्कार
मेरी बातें
मेरे गुण अवगुण
मेरा रंग ढंग
यहाँ तक कि
मेरी पढाई
मेरे दोस्त
मेरा परिवेश
मेरा परिवार
मैं तो बस बंधी थी
अपनी मर्यादा से
मुझमे हिम्मत कहाँ थी
जो मैं खुद की बात को
रख सकु सबके सामने
यहाँ तक की
तुम्हारे आगे भी
मेरी जुबान लडखडाती
नजर आती थी
तुम्हारी नजर का पैनापन ही
बता देता है मुझे
तुमसे कब कौन सी बात कहनी है
औरत हूँ न
नजरो को पढ़ना
बचपन में ही जो सीख लिया था
कहाँ रही हिम्मत अब
जो अपना आकाश
तय कर सकु
तोड़ सकु सीमा
पा सकूँ राहत
घुटन
जलन
सड़न से