गा गा गा गा गाउ..मैं सदा गीत तेरे....
गर की होती कभी
खुद की परवाह
तो..
हाथो को ना जलाया होता..
लेकर हाथ मे सूरज..तुम्हे
रास्ता ना दिखाया होता
इसी मे मुझे मिलता हैं
सुख..
काश दुनिया मे सबने
जलने का सुख पाया होता
सफ़र छूट जाएगा रास्ते मे...किसी और का साथ निभाने को
मुझे पता हैं तू ही मंज़िल .पाएगा.
गा गा गा गा गाउ..मैं सदा गीत तेरे....
बना लेगा तुम्हे दौड़ कर वो अपना...
तू एक बार उसे प्यार से...सदा तो दे..
तुम्हारी हर नादानी को नज़र अंदाज़ कर देगा वो...
दुनिया की भीड़ मे भी आगाज़ कर देगा वो.........
एक बार तो जाकर मुस्कुरा के मिलो...
तुम्हारी हर भूल माफ़ कर देगा वो....
उधड़ी हुई ऊन से कुछ ना बनाना...
वरना जान जाएगा...हर कोई प्यार पुराना
उधेड़ दिए जाओगे तुम...भी
गर पीछे पड़ गया जमाना..