उफक, शफ़क, फलक
उफक, शफ़क, फलक
सब मिथक हुए जाते हैं
जबसे नही देखा उनको
अब तो चाँद तारे भी सताते हैं..
जमाने से दूर हो जाओ
नई दुनिया बसाओ
सब काय्दे क़ानून अपने बनाओ..
जीने का मज़ा पाओ..
भूकंप से काँपी जो हवेली तेरी..
मेरा भी दिल थर्राया...............
फ़र्क बस इतना था की...मेरी झोपड़ी मे था
एक छोटा सा दिया.....
तुम्हारा सारा मालो असबाब चूर चूर हो आया..
मिट्टी से जुड़े लोगो को मिटने का कोई डर नही होता है ना....अपर्णा
कल की ही बात हैं वो बोले मुझसे
तुम्हारे बिना जिया तो जा सकता हैं..
लेकिन जिंदा नही रहा जा सकता...
सुनो मैं जीना नही चाहता
जिंदा रहना चाहता हूँ...तुम्हारे साथ..