मेरी तहरीर को गर तुम पढ़ लेते... खुद ब खुद आँसू निकल पड़ते..
ताप मे मे भी छिपा अपना आप हैं..
तभी सुख मिलता हैं...वरना तो दुनिया के ताप जला डालते हैं..
अनदेखे अनचिन्हे लोग....दुनिया ही अजब निराली हैं...
माँ के पेट मे भी रह कर पिता की आवाज़ पहचान डाली हैं..
भरोसा आता नही हैं कमाना पड़ता हैं
बड़ी मुश्किल कमाई हैं ये...क्यूँ तुम्हे कुछ पता हैं..
डर और अंधेरे का स्वाभाव एक सा होता हैं..
बस ज़रा सी आँख दिखाओ...गायब..
सुन ना देखना साथ साथ होता हैं...
जब वो नही होता...शून्य ही बचा रहता हैं..
मेरी तहरीर को गर तुम पढ़ लेते...
खुद ब खुद आँसू निकल पड़ते..
पिंजरा हुआ पुराना...मन तब भी नही भरा...दुनिया वालों से..
पेड़ो से भी महक आएगी हमारी...
गर लोग महक को पहचान पाएँगे..
जंगल मे आग सी फैल गई हैं हमारी बातें
ना तुमको पता ना हमको खबर..
तुम्हे भुलाना मेरे बस मे नही...
हाँ बुला ज़रूर सकते हैं..
वो कोई बच्चा नही जो तेरे घर आया हैं...
वो मेरा बचपन हैं जो लौट आया हैं..
तभी सुख मिलता हैं...वरना तो दुनिया के ताप जला डालते हैं..
अनदेखे अनचिन्हे लोग....दुनिया ही अजब निराली हैं...
माँ के पेट मे भी रह कर पिता की आवाज़ पहचान डाली हैं..
भरोसा आता नही हैं कमाना पड़ता हैं
बड़ी मुश्किल कमाई हैं ये...क्यूँ तुम्हे कुछ पता हैं..
डर और अंधेरे का स्वाभाव एक सा होता हैं..
बस ज़रा सी आँख दिखाओ...गायब..
सुन ना देखना साथ साथ होता हैं...
जब वो नही होता...शून्य ही बचा रहता हैं..
मेरी तहरीर को गर तुम पढ़ लेते...
खुद ब खुद आँसू निकल पड़ते..
पिंजरा हुआ पुराना...मन तब भी नही भरा...दुनिया वालों से..
पेड़ो से भी महक आएगी हमारी...
गर लोग महक को पहचान पाएँगे..
जंगल मे आग सी फैल गई हैं हमारी बातें
ना तुमको पता ना हमको खबर..
तुम्हे भुलाना मेरे बस मे नही...
हाँ बुला ज़रूर सकते हैं..
वो कोई बच्चा नही जो तेरे घर आया हैं...
वो मेरा बचपन हैं जो लौट आया हैं..