रूहानी सुहानी
जीवन की सच्चाइयों को उजागर करता हुआ आपका अपना ब्लॉग जो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके और हमारे अनुभव को बताएगा..कैसे जिया जीवन, क्यूँ जिया जीवन और आगे किसके लिए जीवन हम सब आपस मे बाटेंगे...कही यू ही तो नही कट रहा...स्वासो की पूंजी कही यू ही तो नही लुट रही मिल कर गौर करेंगे..
Friday, April 15, 2016
Thursday, April 14, 2016
आहत हूँ मैं
तुम्हारा यु मेरी
इस तरह
राह देखना
सच मुझे
भीतर तक
भिगो देता है
क्यों देखते हो
मेरी राह
अब तो मैं
तुम्हारे साथ भी नहीं
पास भी नहीं
तुमसे बहुत बहुत दूर
निकल आई हूँ
जहाँ से लौटना
संभव ही नहीं
ये रेशमी परदे
ये खिड़किया
मुझे पता है
सब आज भी
वैसी की वैसी है
सड़क के
उस पार का नजारा
रोज बदलता होगा
बदलती होंगी
परछाइयाँ
सब मेरी तो नहीं
अब नहीं रहा
वो वक़्त
वो बातें
मेरी तुम्हारी
रोज की मुलाकाते
सच अब तुम मुझे
नहीं याद आते