पुराने पड़े बेकार रिश्तो का भी कहीं रीप्लेस्मेंट होता हैं
तू बेकार मे ही परेशान हो रोता हैं
मेरी मुस्कान हो तुम......मेरी पहचान हो तुम
तजी खिदमत वज़ीरी दी
पाई लज़्ज़त फकीरी दी
दोस्ती कितनी भी गहरी कीजिए
अपना तंबू अलग ही तानिए...
दोस्ती दूर तलक जाएगी
रिश्तो मे आँच भी नही आएगी
उसे सब पता हैं..तुमने जो कुछ भी कहा हैं..
तुम आते तो सही...हम दिल का दिया जला लेते