कहाँ गया वो जो तेरा था.. तुझसे ही प्यार करता था..
कहाँ गया वो
जो तेरा था..
तुझसे ही
प्यार करता था..
तेरे इंतज़ार मे अपनी
राते तमाम करता था..
भीग कर भी पूरा का पूरा..
तुझे ही याद करता था..
तेरे आने की राह
देखता देखता भूखा ही सो जाता..
फिर भी तेरा ही
इंतज़ार करता था..
तेरे ख़यालो मे रहता
इतना गुम कि...
छोटे से घर को भी
महल कहा करता था..
तुझे समझता था हीरा..
कहीं गुम ना हो जाए तू..
इसी कारण तुझे
कोहिनूर कहा करता था..
कहाँ गया वो अब जो
तेरे दीदार को तरसता था..
तेरा था वो..और तुझसे ही
बेपनाह प्यार करता था..