इश्क़ बिना...जीना कैसा..
माना साजिशो के मौसम मे...बचना बहुत ज़रूरी हैं..
नही निकलूंगी घर से मैं...लेकिन इश्क़ बिना...जीना कैसा..
तुम बिना अकेले रहना कैसा????????
आज लड़ डालो..पुराना साल जाने वाला हैं
हिसाब कर डालो..शायद दिख जाए कोई फायदा
अपनी किताब चेक कर डालो..
मत खाओ ऐसी कसम..जो कभी ना हो पूरी.
क्यूंकी
जिंदगी हर कसम...पूरी नही होने का वक़्त नही देती
बेटी होती ही ऐसी हैं...
जब तक रहती हैं..बिखेरती हैं खुशिया
उनके एक दिन के जाने से ही फैल जाती हैं नीरवता...
शांति और बेचैनिया...घर मे..लाइफ मे..