सपन सलोना
सुन्दर सा एक
सपना सलोना
आँखों में पलता देखा है
लेता है आकार
वो धीरे से
समय के साथ
साकार होते देखा है
सपने की
एक सोच ही
होंठो पे
मुस्कान ले आती है
जाने
पूरा होने की
उम्मीद ही
इंसा को
खुश कर जाती है
सपनो सपनो में
कटती जाती है उम्र
मन फिर भी
थम कर चलता है
कैसा है ये
खवाब सजीला
पल पल बढ़ता रहता है
ख़ुशी खवाब की
छिपाये न छिपती
जैसे जैसे बढ़ता है
आँखों में
एक खवाब
सजीला
पल पल
सजते देखा है
एक सपना जो काश .. ...एक बार ही सही......... सच हो जाता
दिल करता है
ढेर सारी
किताबे लेकर
कहीं पहाड़ो पे
चली जाऊ
जब मन करे
किताबे पढ़ु
जब मन करे
सैर पर निकल जाऊ
पेड़ पौधों से करू
खूब सी बातें
फूलो से खेलु
उनके गहने बनाऊ
नीली चुनरिया
जो फैली है
आसमान तक
उसका ओढु आँचल
धरती का लेह्गा बनाऊ
पढ़ती रहू
जब तक जी करे
रात में
फिर जब नींद आये तो चंदा की रजाई में
छिप सो जाऊ
न हो दिन का ख्याल
न हो रात की बात
क्योंकि
दिन भी अपना
रातें भी अपनी
चलो थोड़े दिन तो कहीं
अपनी मर्जी से बिताऊँ
दुनिया की टिक टिक से दूर
किताबो में
कहीं खो जाऊ
काश
सच हो जाता
ये खवाब हमारा
गुम हो जाना
तुम्हारा
हमें न ढून्ढ पाना