Monday, January 23, 2017

कहाँ हो तुम?

दोस्त कहाँ हो
मोबाइल की स्क्रीन पर
हर समय तुम्हारा
चमकता चेहरा
याद दिलाता है
तुम बस आ ही रहे होंगे
सच तुम बिन हर लम्हा
खाली ख़ाली लगता है
कुछ भी नहीं बदला
बस मेरा ही वक़्त बदल गया है
तुम बिन मैं
या मेरे बिन सोचो
एक डरावना ख्वाब सा लगता था
लेकिन पल पल
मैं इस डरावने ख्वाब के साथ
जी रही हूँ
या यूं कहो मर रही हूँ
कहते है
मोहब्बत दो लोगो के बीच में होती है
जब एक मरता है तो
दूसरा अपने आप ही मर जाता है
मेरा भी हाल ऐसा ही है
तुम ही कहो
कैसे जियूँ?????

तुमसे ही तो जिन्दा थी

तुम अचानक 
आ जाओ
और 
मुझे देख लो
शायद 
पहचान भी नहीं पाओगे
तुम सोच रहे होंगे 
क्यों????
सच कहूं 
तुम्हारे जाने से मेरा
भूत, भविष्य, वर्तमान
सब उलट पुलट हो गया
मेरी सारी खुशियां 
तुम्हारे साथ चली गई
मेरे जीने का जज्बा 
लुप्त सा हो गया
यहाँ तक की 
मेरा आत्म विश्वास
जिसपे तुम्हे 
सबसे ज्यादा 
नाज था
वो भी तुम ले गए
या यूँ कहो
खो सा गया है
अब बस बचा है तो 
मेरे पास
बस मेरा खोल!!!
आत्मा शरीर छोड़कर
तुम्हारे साथ जा चुकी है
बची है तो 
चंद साँसे
जो अपनी ही मौत का 
इन्तजार कर रही है
कुछ आंसू 
जो रोज इन आँखों से 
निकलकर
चेहरे में जज्ब हो जाते है
बची हैं 
तुम्हारी अनमोल यादें
जो मुझे जीने नहीं देती
मर तो मैं
तुम्हारे साथ ही गई थी!!!!