रूह को सुकून आ गया-
वेदनाओं के ताबूत में
आखिरी कील जो
लगायी तुमने
रूह को सुकून आ गया-
रूह को सुकून आ गया-
मुझे भी करार आ गया
मर सकूँगा चैन से मैं
इतना तो दिल को
दिल पे एतबार आ गया
हमे आज भी आता हैं
हमे आज भी आता हैं
दिल मे उतरना
खामोशी से बाते करना
नीरवता मे स्वप्न देखना
सांसो का स्पंदन सुनना
धड़कनो को गिनना
आहट को पहचान लेना
थरथराते होंठो की बात समझना
क्या ये प्यार हैं ??
या कुछ और??
आज़ादी से मिलने दो...
क़ैद हूँ किसी
चिड़िया की तरह
पिंजरा हैं सोने का
और दाने हैं...खूबसूरत
मालिक भी अमीर हैं
लेकिन ये क्या?
मेरी आँख मे तो आँसू हैं
ये आँसू कहाँ से आए?
कौन सा दुख हैं मुझे
अच्छा खाना मिलता हैं..
पीने को पानी मिलता हैं
राजा, दरबारी
सब प्यार करते हैं
मेरी एक ची ची पे
सब हिल उठते हैं..
फिर ये उदासी क्यूँ?
निराशा क्यूँ..
पंख हैं, प्यार हैं, सुख हैं,
सारा सुविधा का सामान हैं
किंतु खुला आसमान नही हैं
विस्त्रत वितान नही हैं.....
गाने को कोई
खुशी का गान नही हैं
खुले पंख, खुला गगन हो..
चाहे खजाने मे कुछ भी ना हो..
खाने का समान भी ना हो......
मैं (चिड़िया) सब जुटा लूँगी..
खाने को क्या हैं?
कुछ भी खा लूँगी..
मत रोको मुझे ....
मत छेड़ो मुझे ..
बस उड़ने दो...
उड़ने दो..
आज़ादी क्या होती हैं?
आज़ादी से मिलने दो...