हाँ मैने भी झूठ बोला हैं
हाँ मैने भी झूठ बोला हैं
ना जाने कितनी शराराते की हैं
ना जाने कितना भोलापन खोया हैं
हाँ मैने भी झूठ बोला हैं
याद हैं मुझे जब एक बार
अम्मा ने पूछा हमसे
बिटिया तुमने आचार
चुरा कर खाया हैं???
मैने कहा नही........
पर अम्मा तो आख़िर हमारी अम्मा!!!
झट से छत पे रखी बर्नी के
चारो और गिरा तेल देख कर समझ गई...
जो कान मरोड़ा............हाए.........
हमे अभी तक याद हैं............
बोली......... खाया था तो ठीक था
झूठ क्यूँ बोला..हमे भी लगा
नाहक झूठ बोला........
दूसरी बार याद आता हैं
जब बाबा ने एक दिन हमे
पान ख़ाता देख कर हमसे पूछा था
बेटा पान खाया हैं क्या?
मैने नही मे सिर हिलाया
वाह री बदक़िस्मती लाल रचे होठों ने
सारी पॉल खोल दी...............
सारा किस्सा कह सुनाया
तब बाबा ने समझाया ......
छोटे बच्चे पान नही खाते
तब भी लगा बेकार झूठ बोला..
अब ना बाबा हैं . . ना पान मे वो
चोरी का स्वाद ........
ऐसे ही ना जाने कितने नन्हे क़िस्से
आज भी जहन मे घूम जाते हैं
जो कभी हँसते हैं ...कभी पलको मे
आँसू ले आते हैं...क्या दिन थे वो...
जब बेपरवाह हो दौड़ते थे..
जब मन होता था झूठ बोलते थे
फिर झट से सॉरी भी बोल दिया करते थे...
ना जाने कितनी शराराते की हैं
ना जाने कितना भोलापन खोया हैं
हाँ मैने भी झूठ बोला हैं
याद हैं मुझे जब एक बार
अम्मा ने पूछा हमसे
बिटिया तुमने आचार
चुरा कर खाया हैं???
मैने कहा नही........
पर अम्मा तो आख़िर हमारी अम्मा!!!
झट से छत पे रखी बर्नी के
चारो और गिरा तेल देख कर समझ गई...
जो कान मरोड़ा............हाए.........
हमे अभी तक याद हैं............
बोली......... खाया था तो ठीक था
झूठ क्यूँ बोला..हमे भी लगा
नाहक झूठ बोला........
दूसरी बार याद आता हैं
जब बाबा ने एक दिन हमे
पान ख़ाता देख कर हमसे पूछा था
बेटा पान खाया हैं क्या?
मैने नही मे सिर हिलाया
वाह री बदक़िस्मती लाल रचे होठों ने
सारी पॉल खोल दी...............
सारा किस्सा कह सुनाया
तब बाबा ने समझाया ......
छोटे बच्चे पान नही खाते
तब भी लगा बेकार झूठ बोला..
अब ना बाबा हैं . . ना पान मे वो
चोरी का स्वाद ........
ऐसे ही ना जाने कितने नन्हे क़िस्से
आज भी जहन मे घूम जाते हैं
जो कभी हँसते हैं ...कभी पलको मे
आँसू ले आते हैं...क्या दिन थे वो...
जब बेपरवाह हो दौड़ते थे..
जब मन होता था झूठ बोलते थे
फिर झट से सॉरी भी बोल दिया करते थे...