मोहब्बत का महल हैं ये...कोई ताज महल नही..
मोहब्बत का महल हैं ये...कोई ताज महल नही..
जो किसी की मौत पे टिका हो...
सैकड़ो हाथ काट दिए गये हो मजदूरों के..
इस ताज महल की खातिर..
हम तो इसे मजदूरों की आहों पे टिका
एक मकबरा मानते हैं..क्यूँ....
ताज महल का दूसरा नाम..अगर हम..
"आह महल" रख दे..तो कुछ ग़लत ना होगा..क्यूंकी..
प्यार तो समर्पण का दूसरा नाम हैं..
एक दूसरे की खुशियो की खातिर..एक संग
जीना मरना प्यार कहलाता हैं..
हाथ पकड़ कर अपने हमसफ़र का..
मीलो के फ़ासले तय कर आना..प्यार कहलाता हैं..
प्यार ये थोड़े ना हैं की..
शाहजहाँ की तरह
नूरजहाँ की बहन से शादी की लालच मे..
नूरजहाँ की मौत का इंतेज़ार करना और
उसके .मरते ही ताज महल बनवा देना..
उसकी याद मे.....या यू कहों...
अपने झूठे प्यार को अमर करने की खातिर..
एक सच्ची औरत के प्यार को ढाल बना लेना..