एक याद
कहाँ गए वो दिन
जब शर्मा कर दुपट्टे से
मुह छिपा कर
भाग जाया करते थे
जरा सी तारीफ
गालों को गुलाबी
कर दिया करती थी
बात करते हुए
नजरे न मिलाना
अंगूठे से जमीन को कुरेदना
सब आज भी बहुत
याद आता है
चले भी आओ कि
आज भी दिल
तुम्हारे लिए ही
धड़क धड़क जाता है
वो मासूम सी आँखे
भोला सा चेहरा
शरबती बातें
सब तुम्हे ही बुलाता है
कैसे भूल जाऊ तुम्हारे साथ
बिताये दोपहरी के वो पल
जब कोयल की कूक से
सारा आलम महक जाता था.....
(एक याद जो दिल में छपी है तुम्हारी)
जब शर्मा कर दुपट्टे से
मुह छिपा कर
भाग जाया करते थे
जरा सी तारीफ
गालों को गुलाबी
कर दिया करती थी
बात करते हुए
नजरे न मिलाना
अंगूठे से जमीन को कुरेदना
सब आज भी बहुत
याद आता है
चले भी आओ कि
आज भी दिल
तुम्हारे लिए ही
धड़क धड़क जाता है
वो मासूम सी आँखे
भोला सा चेहरा
शरबती बातें
सब तुम्हे ही बुलाता है
कैसे भूल जाऊ तुम्हारे साथ
बिताये दोपहरी के वो पल
जब कोयल की कूक से
सारा आलम महक जाता था.....
(एक याद जो दिल में छपी है तुम्हारी)