रूहानी सुहानी
जीवन की सच्चाइयों को उजागर करता हुआ आपका अपना ब्लॉग जो सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके और हमारे अनुभव को बताएगा..कैसे जिया जीवन, क्यूँ जिया जीवन और आगे किसके लिए जीवन हम सब आपस मे बाटेंगे...कही यू ही तो नही कट रहा...स्वासो की पूंजी कही यू ही तो नही लुट रही मिल कर गौर करेंगे..
Monday, August 10, 2020
तुम्हारे शब्द
तुम्हारे लिखे शब्द
मुझे समझ तो आते है
लेकिन
पकड़ नही आते
पकड़ू भी क्यों
आखिर उन्हें भी तो आज़ादी चाहिए
घूमने की
फिरने की
सांस लेने की
चलने की
बहकने की
बहकाने की
बह जाने की
धधकने की
भड़क जाने की
दर्द की
गीत की
खुशी की
झूम जाने की
पास आने की
दूर जाने की
सिसकने की
तड़पने की
तड़पाने की
क्यों रोकूँ
बह जाओ मेरे शब्दों
सारे संसार मे
जज्ब कर लो
सबके दर्द
जो ले रहे है
सिसकियां
हमारे तुम्हारे दिलो में
तन खाली
मन खाली है
तन खाली है
दुनिया का
हर बर्तन खाली है
उड़ गई खुशियां
रह गए सपने
पड़े कोने में
रहे सिसकते
धीरे धीरे
गुम गए
सारे ख़्वाब सुनहरे
देखे मिलकर
इन आँखों ने
आंखों में है
नींद नही अब
जीते है
उजडन, तड़पन संग
कोरो से
बह रहे
नीर निरंतर
पूछ रहे है
एक सवाल
पी क्या आओगे?
पी क्या मेरे हो पाओगे?
पी भूल तो नही जाओगे?
पी क्या पहले जैसे हो पाओगे?