नही ले सकते गुलाब तो दे दो प्यारे
लेना हो या देना एक ही बात हैं प्यारे
मत जाओ चिरागो मे अभी रोशनी बाकी हैं...
हम आ गये हैं..खुशी आनी बाकी हैं..
बुलंदी पे जाकर रखना संयम
नही करना पड़ेगा ठहरने को ज़्यादा परिश्रम
सपनो मत जाना मुझे छोड़कर
आज मैं बहुत अकेली हूँ..
नम हैं आज मेरी आँखे..
शायद मेरी महबूब की भी गीली हैं..
आपके बाग का गुलाब
कल मिला मुझे रास्ते मे
कहने लगा मुझे फेक दिया मेरे सनम ने
जाने क्या सोच कर..
रो रहा आज मेरा दिल
फिर भी मैं कहता हूँ..
हूँ ज़मीन पे उन्ही के कारण
ना जाने क्यूँ फिर आज भी
उन्ही से प्यार करता हूँ..
चाँद की आदत हैं हौले से दिल लगाने की
फिर भी हिल जाता हैं मेरा दिल...आहट से उसके जाने की
तेरे आने से हैं हमारी खुशी
बैठो तो दो घड़ी कुछ बात करे
बनते अपना सुख दुख....
कुछ प्रेम का इज़हार करे
फूल हमे प्यारे हैं
आप फूलो के सहारे हैं
लो भर जाएगी जिंदगी खुश्बू से..
अब हमे नही चाहिए किसी के इशारे हैं..
सभ्य की परिभाषा बहुत कठिन हैं
रोता हैं भीतर से, लेकिन हँसना ज़रूरी हैं
नंगी पीठ तो क्या , घाव भी नही दिखा सकते
कुछ भी इस समाज के किए को
किसी को नही बता सकते...सब असभ्य ना कहने लगे इसी डर से चुप हूँ..
आपका बहुत खूब हमे देता संबल हैं.
हमे गर्व हैं की आप हमरे अंकल हैं..
इन्ही एहसास से तो जागती हैं जिंदगी
वरना तो सब मारे ही थे..उस दुनिया मे