Saturday, May 26, 2012


जिंदगी का बोझ सर पे रख कर रूमानियत ढूँढते हो...
कैसे हो तुम...फिर से जिंदगी ढूँढते हो........

बढ़ाओ हाथ दोस्ती कर लो
पचान फिर से नई कर लो
तक़दीर पुरानी हैं...
देखना कुछ इसमे नई निशानी हैं..गर देख सको तो

तुम्हे बुला कर कब कोई भुला हैं
चाँद हैं यहा..चाँदनी का झूला हैं
देखो आकर यहाँ जिंदगी एक मेला हैं

क्या जादू किया तुमने उस पर
दो शब्दो मे पूरा कर डाला
कैसी किताब थे तुम........
एक साँस मे ....
सरसरी निगाह से ही तुम्हे
उसने पूरा पढ़ डाला...

बात कद की नही मुस्कुराने की हैं
कैसे कोई मुस्कुराए जब चोट दिल पे हैं

अच्छा किया जो झेल गये वरना कितनो का घर बर्बाद होता

खोल भी दे दरबान गर ताला
पुरानी हवेली का तो भी
कौन कम्बख़्त निकलना चाहता हैं
रहना चाहते हैं क़ैद सब
यादों के गलियारे मे.....
खुला आसमान कौन देखना चाहता हैं..

कैसी आवाज़ लगाई
जो मेरे तक ना आई....

अदला बदली का खेल चलता हैं
वो लेती हैं हमसे चॉकलत.......
बदले मे प्यार मिलता हैं

Friday, May 25, 2012

फासला या फ़ैसला


फासला कब
सही होता देखा हैं
हर फ़ासले के बाद
तुम्हे मैंने अकेले मे
रोते देखा हैं........
रिश्तो से 
तटस्थ होना गर.........
इतना आसान होता..........
गिर जाती......
पेड़ो से पत्तिया यू ही
क्यूँ निशान...
रह जाता....
सब रिश्तो का
अपना अपना मोल हैं
फ़ैसले चाहे तू ....
कितने कर
लेकिन मेरे हक़ मे कर.....
नही रह सकता मैं
तुम्हारे बगैर
आख़िरी बार ही सही.........
फ़ैसला तो मेरे
हक़ मे कर.....

Thursday, May 24, 2012


धुए से टकराव मत
खुद को खुद से 

उलझाओ मत
बहने दो आँखो से आँसू
आँखो को तरसाओ मत
एक दिन ऐसा आएगा
दिन चमकीला आएगा
गुम होंगे गम के बादल
प्यार का मौसम आएगा
फिर धुआँ भी छट जाएगा..


क्या करते वो भी ज़रूरी था
अपने हिसाब से तुमको ढालना
अब ढल गये हो तो अच्छे नही लगते..

खुद ज़ुल्म ढाते हैं
आँधियो पे दोष लगते हैं.....
क्या बात हैं...दोस्त

अब आपको जीना आ गया ...चाहे भी तो कोई गिरा नही सकता...

चेहरा छुपाया शर्म से
आप नही समझे...
प्यार की बात थी ज़रा
देर से समझे.....

या खुदा उनका क्या होगा जो दिल मे जहर ज़ुबान पे शहद रखते हैं..

जले पे  नमक छिड़कते हो
दोस्त आप भी कमाल करते हो..

Tuesday, May 22, 2012


 
आज कल मुझे मृत्यु बहुत भाती हैं
वो हमे परमात्मा के बहुत करीब लाती हैं
जब नही रहता कोई आकर्षण जीवन मे
तब परमात्मा तेरी याद आती हैं
उठा लो मुझे अब दुनिया से
अब हमे तेरी ये दुनिया
रास नही आती हैं....




राम सीता


संजोग हैं फिर भी कहाँ संयोग हैं?
साथ हैं फिर भी कहाँ साथ हैं?
साथ हैं राम के....फिर भी बनवास हैं
चाहे कितनी भी जनमपत्री मिलवा लो
मेरे दोस्त......
विधि का लिखा हर वक़्त तेरे हाथ हैं..





सूरज की किरने सूरज से आगे हैं
लेकिन बादल हैं जो सूरज को प्रतिपल ढाके हैं
किरनो ने अपना जाल फैलाया हैं
बादलो ने सूरज को छिपाया हैं
लेकिन फिर भी रोशनी हैं
मत समझो किसी को भी कम
सब मे परमात्मा समाया हैं..






Monday, May 21, 2012

मरने का मॅन हैं तो क्यूँ शुगर खाए
चिकनाई मे क्यूँ फिसल फिसल जाए..
कोई ऐसी जुगत लगाए..यू ही मौत आ जाए
प्यार करे और बेमौत मर जाए

बात आपकी सच हैं कुछ बातें
कहने की नही होती
डूबने की होती हैं
समझने की होती हैं
हर बात को कविता मे ढालना
तुम्हारी खूबी हैं........इस खूबी को
यू ना मेरे लिए पिरोना
बस प्यार करते जाना
कविता चाहे कभी ना लिखना


पिया कहे मोहे सुंदर
मैं बली बळी जाउ
दर्पण देखु रूप निहारू
कहीं चैन ना पाउ....

रिश्तो को पकड़े पंछी की तरह..
ऐसा ना हो...
कस के पकड़े तो दम घुट जाए
छोड़ दे तो कहीं उड़ ना जाए

खुदा आपको ऐसा मसरूफ़ करे
बात कर ना पाए खुद से भी कभी

नमक लगी यादे और भी नमकीन हो जाती हैं
चाय के साथ याद करो तो और भी स्वाद दे जाती हैं


सपनो की कोई उम्र नही होती जनाब
जब चाहा बुला लिया..जब चाहा भगा दिया
कोई पकड़ नही सकता उन्हे...
धुंधली आँखो से भी देखे जा सकते हैं खवाब
बस नही रहता अब उन खवाबो का कोई जवाब

 

जिस पथ पे
कोई जाता नही हो
वो पथ तेरा
दर्द की बात
बह उठे ज़ज्बात
खूब कही आज
बेवफ़ाई मे कुछ ऐसा आलम आया हैं
याद नही अब कुछ भी उसको..........
सब कुछ पराया हो जाता हैं..
दर्द मे डूबी परछाई क्या दर्द सुनाएगी
आह भी भरेगी तो..सब कह जाएगी
फूल था अपने वचन का पक्का जो कहा कर डाला हैं
खुश्बू के संग थोड़ी सी सोंधी माटी भी ले आया हैं..
गुस्सा आना लाजिमी हैं..
पछताना भी लाजिमी हैं
इंसान हो ना..इंसान
नज़र आना लाजिमी हैं
कैसे छोड़ देता तन्हा तुम्हे तुम्हारा मन
चाहता जो था तुम्हे सदियो से...
सड़को का सफ़र
तेरे बगैर
ना अब मुमकिन
वीरान को आबाद करना था
तुम्हे मुझको शिद्दत से याद करना था
तेरा साथ की बात
अब न याद
हैं डरावनी रात
वो पतंगे नही..मच्छर हैं..जो हर जगह खुद का अस्तित्व रखते हैं
साँस भी लेते हैं तो एहसान औरो पे करते हैं..
तेरा हाथ
मेरा साथ
हैं खवाब की बात
खिलखिलाता था जीवन
ना जाने क्यूँ
आज हुई जम के बरसात
प्यार से प्यार को आवाज़ लगाओ...हे मेरे प्यार अब लौट भी आओ
सुन तेरा गम
आँखे हुई नम
क्या सोचु मैं
संग तू हरदम
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

कल रात उनसे मुलाकात हो गई....
नही करनी थी मुझे बात
लेकिन बात हो गई.......
सोचा था बहुत सताएँगे
ढेर सा मज़ा चखाएँगे
लेकिन आ गया उनपे
एकदम से प्यार
मेरा सोचा हो गया
बिल्कुल बेकार.......