जब ना हो दुनिया मे कोई अपना
तो हर वक़्त बस गुरु याद आता हैं
कब किस उदाहरण से
हमे वो शिक्षा दे जाता हैं
ये बहुत देर बाद मे समझ आता हैं
पथ प्रदर्शक को ही कहते हैं गुरु
तुम हमे पथ दिखाते रहे
अंधेरे मे हमे ज्ञान का रास्ता सुझाते रहे
जब भी हुई हमसे कोई भी ग़लती
प्यार और डाँट दोनो पिलाते रहे
तराशा ऐसा अनगड पत्थर को
कुशल कारीगर की तरह
की खूबसूरत मूर्तिया बनाते रहे
कौन हैं वो पहचानो तो..
तुम तुम तुम