गौर से देखे तो तुमसे ही मोहब्बत भी करती हैं
जुदा अंदाज़ हैं उसका..वो सीने मे रखती हैं
उसे बस दिखा नही सकती...
तुम्हे देख कर हो जाती हैं संजीदा
तुम कहते हो शरारत क्यूँ नही करती..
रहते हो उसकी हर गुफ्तगू का हासिल तुम
यही कारण हैं की फूलो को न्योछावर तुम पे नही करती—