एक धोखेबाज़ इंसान की फ़ितरत
एक बार की गई भूल स्वीकार हैं..
दो बार की गई भूल आदत मे शुमार हैं..
जो करे बार बार भूल..उसे छोड़ देना ही अच्छा..
क्यूंकी उसकी ये आदत आपके लिए बेकार हैं..
एक धोखेबाज़ इंसान की फ़ितरत
कभी नही जा सकती हैं
क्यूंकी वो ऐसे ही हैं..जैसे
चाहे जितना दूध पिलाओ
साँप तो कटेगा ही....
जिसका काम हैं जहर देना...
वो तो जहर बाटेंगा ही..
अब तुम लाओ कोई जड़ी बूटी...
काट दो उसका जहर...
या छोड़ दो उसे जंगल मे..
घूमने को इधर उधर..