Friday, March 1, 2013

पेट्रोल का दाम



रोज़ बढ़ा देते हैं
पेट्रोल का दाम
बताओ कैसे जी पाएँगे
नही होगा पेट्रोल गाड़ी मे तो
ऑफीस कैसे जाएँगे
कैसे कमाएँगे, 
कैसे खिलाएँगे..
हमारे बच्चे तो 
भूखे ही मर जाएँगे..
ऐसी जिंदगी से तो
मौत ही भली..
प्लीज़ देदो ना 
कोई मुझे जहर की गोली..
रोज़ रोज़ मरने से तो 
एक बार की मौत भली..



वो मेरा अपना हुआ..



नही मिला वो 
आज तक मुझसे रूबरू..
लेकिन
मुझे आज ये कहने मे
कोई गुरेज़ नही
उसने मुझे
कहाँ कहाँ 
नही छुआ ....
बस गया हैं 
जो मेरी रूह के भीतर 
उसने मेरा 
जहनो दिल दिमाग़ 
सब कुछ छुआ..
तभी तो 
कहती गर्व से..आज 
वो मेरा अपना हुआ..


ये तो मेरी आदत मे शुमार था...




हम पंछी एक डाल के 
साथ मे चाह चाहाएँगे
मिला ना गर कोई पेड़ दिल
तुम्हारे दिल मे आशियाना बनाएँगे

ज़रूर भीगेगा वो
जब भी मैं रो दूँगी..
मैं जानती हूँ..
मोम दिल हैं वो..
बनता हैं..बहुत शेर जो मेरे सामने..

हम सुनाते हैं सबको अपनी कहानी..
लोग रोते हैं समझ कर किस्सा अपना..
अब इसमे दोष मेरा हैं या उनका..
शायद कहानी ही मिलती जुलती हैं..हमसे..उनकी

तुम तो रीझ गये मेरी उस अदा पे..
जिसका मुझे गुमान भी ना था...
बालों को ठीक करना मेरी कोई अदा ना थी..
ये तो मेरी आदत मे शुमार था...

तुम गुज़रते हो हद से हम सह नही पाते..
तुम तड़पाते हो खुद को हम सह नही पाते..
क्या करे नादान दिल हैं हमारा..
ज़ुल्म सहने की आदत जो नही हैं..


मुझसे मेरी शिकायत
ये मेरा दिल सुन ना पाएगा..
रखोगे जो हाथ दिल पे अपने..
सब जान जाएगा..
कोई नही .........ये दिल ही हमारा 
जो आपके सीने मे धड़कता हैं..
आपका दिल बन कर 

तुम थे नादान उस हुस्न की तरह
जिसे पता नही था..कि वो कितनी खूबसूरत हैं..

वो मूरत कैसी होती हैं...
बिल्कुल मेरे मालिक जैसी होती हैं..
जो करता हैं प्यार सबको एक सा..
भूलकर भेद भाव...करता हैं अपना सा..

तुम्हे जलाने का मौसम आया हैं तो
मुझे भिगोने का मौसम भी आएगा..
क्यूँ सोचते हो तुम इतना मेरे बारे मे..
मेरा सब कुछ, मेरा ना रह पाएगा..
उठेगी जब बदलिया यादों की जहन मे..
झुलस कर मेरा दिल रह जाएगा..








क्या था कबीर मे...


क्या था कबीर मे...
जो सारा संसार 
उस के साथ हो लिया..
क्या था बुद्ध मे.......
जो सबको हिला गया
क्या था विवेकानंद मे..
जो शिकागो तक चल कर गया...
सबका एक ही जवाब हैं...
इनमे था अपने प्रति आत्मविश्वास
आस्था का साथ....
अहंकार का विलीन होना..
आत्मा का आत्मा से मिलन होना..
खुद का जानना, खुदी को मिटाना..
तभी तो साथ चल पड़ा जमाना..


..



Wednesday, February 27, 2013

तुम्हारे निर्णय



तुम मेरा अभिमान हो 
ये बात तुमने मानी लेकिन
समय निकल जाने के बाद
मैं तो तुम्हारे निर्णय को 
अंतिम समझ..............
जीवन मे उतार बैठी...
गर्विता समझती रही खुद को....
तुम्हारे निर्णय को अपना कर...
आज भी बहुत खुश हूँ....
तुमको पाकर...तुमको सोचकर...अपना कर..



प्यार मे भी उधार कमाल करते हो यार...



आप हो उम्दा जमाने मे आपसा दूसरा नही..
ढूँढ लो, कर लो तसल्ली,  एक भी आपके जैसा 
दुनिया मे बना ही नही..

प्यार मे भी उधार
कमाल करते हो यार...

मौत फिर सस्ती हुई अबकी आम बजट मे
जिंदगी के दाम आसमान छूने को हैं..
कैसे चलाए खर्चा आम आदमी..............
आटा, दाल, चावल सब बहुत मह्न्गे हुए..

जबसे हम जुदा हुए तुमने कोई डायरी नही लिखी 
सिर्फ़ पन्नो को काला कर डाला...रोज़ का हिसाब कर डाला 
मुझे डर हैं...
कही हमारे मिलने बिछड़ने का हिसाब तो नही लिख डाला...
पढ़ लेगा बड़ी आसानी से तुम्हारा घरवाला...


दिल टूटा तुम्हारा
उस से पूछो जो मज़बूर थी
रख दिया पिता ने 
इज़्ज़त का वास्ता...
बेचारी क्या करती?

आज भी तुम्हारी कसमे खाती हैं वो..
अपने से ज़्यादा चाहती हैं तुम्हे वो..
तुम समझते हो तुम्हे भूल गई...
तुम्हारा नाम आते ही आज भी 
शरम से लाल हो जाती हैं वो..


कैसे ना आती माँ




कैसे ना आती माँ 
तुम्हे रोज़ देखने..
तुम ही नही दे पाते उसे.....वक़्त
आज भी लगता हैं उसे उसका बच्चा
अभी बहुत छोटा हैं
नही ले पाता कुछ निर्णय
आज भी अपने आप..
तुम ले सको वो निर्णय ढंग से 
इसीलिए वो आती हैं...लेकिन 
कुछ ना कर पाना 
उसकी विवशता हैं...
तुम भी देखना जब 
तुम्हारे बच्चे बड़े हो जाएँगे
नही होगी उन्हे तुम्हारी ज़रूरत
तुम भी खाली हो जाओगे
दुनियावी बातों से..
नही छोड़ पाओगे फिर भी
अपने बच्चो को अकेला..
भले ही उन्हे आदत ना रहे तुम्हारी..



Monday, February 25, 2013


तुम्हे चाँद बोल कर 
खुश ही हुई थी मैं..
तुम चाँदनी के संग 
चल दिए....

नशा ए फ़ेसबुक 
हम सब पे तारी हैं
उतरता नही जहाँ से 
मार्क बाबू ने की 
ऐसी होशियारी हैं..

पुराने पत्ते जाए तो
 नये आए..
लेकिन 
हम इस पागल दिल को 
कैसे समझाए


Sunday, February 24, 2013

सुलझा लो गाँठ को एक बार हमेशा के लिए..




तुमने होश खो दिया
सच मे प्यार कर लिया
अब खुदा हो मलिक  हैं..
तुमने रोग ले लिया..

पिया की याद मे.. बादल गरजे सारी सारी रात...
मुझको तो आई ना नींद..वो भी जागे सारी रात...

पिया के बिना चैन कहाँ..
पिया के बिना रैन कहाँ..
नैना तरसे सारी रात
बरसे अंखिया सारी रात..

तेरे मकान तक
आने की खातिर
मुझे गुज़रना था 
रिश्तो की क़ब्रगाह से..
ये कोई आसान ना था..
आना भी था ज़रूर..
पाना भी था ज़रूर
लेकिन
खुद को खोकर
रिश्तों को खोकर..

सुलझा लो गाँठ को एक बार हमेशा के लिए..
फिर कोई ना तोड़ पाएगा उस से तुम्हारा रिश्ता..

अश्को को हथियार बना..
हिम्मत कर उठ जा..
फिर से नया जहाँ बसा..

आपके ललाट पे लिखा लेख
ये बताता हैं..
कोई छिपा हैं आपके भीतर
जो वक़्त मिलते ही
बाहर आ जाता हैं..
जो आपसे अपने बारे मे..
कुछ ना कुछ कहलवाता हैं..
लोग समझते हैं 
आप कहते हो सब कुछ..
वो तो कोई और ही विधाता हैं..

"मुझमे" से "मैं" गुम किया..
तभी तो " वो " निकल आया..
अब लगे दुनिया हसीन..
"मैं " "मेरे"  का भी
भेद आज मिट पाया..